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बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!

 

बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!
बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!

बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!

बिहार चुनाव के पहले चरण के 16 जिलों की 71 सीटों पर फतह के लिए पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. पहले चरण के चुनाव प्रचार में तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में 10 लाख रोजगार देने के वादे का जिक्र करते नजर आए तो नीतीश कुमार ने लालू राज के बहाने आरजेडी पर हमला बोला. बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाने के मुद्दे पर जोर रहा.

जेडीयू से नीतीश और आरजेडी से तेजस्वी स्टार प्रचारक

जेडीयू की ओर से नीतीश कुमार चुनावी कमान संभाल रखी थी और एक दिन में तीन से चार रैलियों को संबोधित किया. नीतीश ने अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत 14 अक्टूबर से की, जिसके लिहाज से करीब 35 से 40 विधानसभा सीटों पर प्रचार किया. वहीं, आरजेडी से तेजस्वी यादव ने अकेले चुनावी प्रचार की कमान संभाली. तेजस्वी ने अपनी पहली रैली 13 अक्टूबर को समस्तीपुर के रोसड़ा से की थी और एक दिन में 9 से 10 रैलियों के संबोधित किया. इस तरह से तेजस्वी करीब 60 से 70 सीटों पर रैलियां कर चुके हैं.

बिहार में विधानसभा चुनाव के पहले चरण का चुनाव प्रचार सोमवार शाम पांच बजे थम गया. पहले चरण के 16 जिलों की 71 सीटों पर फतह के लिए पार्टियों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी. पहले चरण के चुनाव प्रचार में बेरोजगारी और लालू के जंगलराज का मुद्दा सबसे ज्यादा हावी रहा. तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में 10 लाख रोजगार देने के वादे का जिक्र करते नजर आए तो नीतीश कुमार ने अपने 7 निश्चय से चुनाव कैंपेन शुरू किया था और लालू राज के बहाने आरजेडी पर हमला बोला और कहा कि 8-8, 9-9 बच्चे पैदा करने वाले बिहार का विकास करने चले हैं. वहीं, बीजेपी की ओर से राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को भुनाने की कवायद के साथ आतंकवाद का जिक्र भी किया गया. 

पीएम मोदी की तीन और राहुल की दो रैलियां

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले चरण में महज एक दिन ही चुनाव प्रचार में उतरे और तीन सीटों पर प्रचार किया था जबकि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी पहले चरण में एक ही दिन प्रचार किया और सिर्फ दो रैलियों को संबोधित किया. बीजेपी की ओर से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पहले चरण में दो दिन चुनाव प्रचार किया और छह रैलियां की थीं. हालांकि, बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह राज्यमंत्री नित्यानंद से लेकर केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित तमाम बीजेपी नेता चुनावी प्रचार की कमान संभाले हुए हैं. 
एलजेपी की ओर से चिराग पासवान चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं. उन्होंने 21 अक्टूबर अपने चुनाव प्रचार अभियान का आगाज किया था, जिसके बाद से वह लगातार रैलियां कर रहे हैं. कांग्रेस की ओर से राज बब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा और तारिक अनवर प्रचार कर रहे हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से लेकर उपेंद्र कुशवाहा, पप्पू यादव और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद चुनावी अभियान में जुटे. सीपीआई की ओर से कन्हैया कुमार भी इस अभियान में शामिल हुए, उन्होंने वामदलों के लिए प्रचार किया.

रोजगार का मुद्दा छाया रहा

बिहार के पहले चरण में रोजगार का मुद्दा छाया रहा है. तेजस्वी यादव अपनी हर रैली में 10 लाख नौकरी देने के वादे का जिक्र करते नजर आए. यही नहीं, महागठबंधन में शामिल तमाम सहयोगी दलों के नेताओं ने भी अपनी-अपनी रैलियों में नौकरी देने की बात को दोहराया. इस पर नीतीश कुमार से लेकर एनडीए के तमाम नेताओं ने सवाल किया कि नौकरी के नाम पर तेजस्वी युवाओं को छल रहे हैं. इस दौरान तेजस्वी के पढ़ाई को लेकर भी सवाल खड़े किए गए. हालांकि, बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में 19 लाख नौकरी सृजन का वादा किया, जिसे पार्टी नेताओं अपनी रैलियों में उठाया. 

राम मंदिर से धारा 370 तक

एनडीए के पक्ष में माहौल बनाने के लिए चुनावी प्रचार में उतरे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे अन्य भाजपा स्टार प्रचारकों ने रैली की और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का बार-बार हवाला दिया. केंद्र में सरकार की उपलब्धियों पर ट्रिपल तलाक के खिलाफ कानून, धारा 370 को खत्म करने जैसे मुद्दे उठाए. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के चलते देश के तमाम मुद्दे हल हो सके हैं, जिन्हें कांग्रेस लंबे समय से अटकाए हुए थी. यही नहीं, बीजेपी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस 370 को हटाने के खिलाफ थी. पीएम मोदी ने भी अपनी रैली में कहा था कि क्या देश अनुच्छेद 370 के खत्म होने का इंतजार नहीं कर रहा था? जब NDA सरकार ने ऐसा किया, तो वे (कांग्रेस) सत्ता में वापस आने पर प्रावधान बहाल करने की बात कर रहे हैं. 

आतंकवाद और पाकिस्तान की चर्चा

बिहार चुनाव में बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यनांद ने आतंकवाद को मुद्दा बनाया. उन्होंने कहा था कि यहां चुनाव में महागठबंधन जीतेगा तो कश्मीर के आंतकवादी बिहार तक पहुंच जाएंगे. देश में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद आतंकवादियों को पनाह नहीं मिल रही है. आतंकवादी सर उठाएगा तो उसका सर कुचल दिया जाएगा. हिंदुस्तान में आतंकवादियों को बिरयानी खिलाने के लिए ना नरेंद्र मोदी तैयार हैं ना देशवासी तैयार हैं. सीएम योगी ने कहा था कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान को उसी के भाषा में जवाब दिया है. 

लालू-राबड़ी के राज की याद दिलाई

नीतीश कुमार बिहार चुनाव की सभी रैलियों में अपने 15 साल के कामकाज के साथ-साथ लालू-राबड़ी के 15 साल के राज पर सवाल करते नजर आए. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार का आगाज अपने सात निश्चय योजना की उपलब्धी के साथ किया था, लेकिन सोमवार को लालू यादव पर निजी हमले किए. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने कहा कि 8-8, 9-9 बच्चे पैदा करने वाले बिहार का विकास करने चले हैं. आगे सीएम ने कहा कि बेटे की चाह में कई बेटियां हो गईं. मतलब बेटियों पर भरोसा नहीं है. ऐसे लोग क्या बिहार का भला करेंगे. अगर यही लोगों के आदर्श हैं तो समझ लीजिए बिहार का क्या बुरा हाल होगा, कोई पूछने वाला नहीं रहेगा, सबका सब बर्बाद हो जाएगा. हम सेवा करते हैं और वे मेवा और माल चाहते हैं. इन्हीं कर्मों की वजह से अंदर जाते हैं.

नीतीश ने हर रैली में कहा कि आरजेडी के शासनकाल में न पढ़ाई की व्यवस्था थी, न इलाज का इंतजाम था और न लोगों के आने जाने की सुविधा थी और शाम के बाद लोगों की घर से निकलने की हिम्मत नहीं होती थी. लालू के राज में अपराध की कितनी घटनाएं होती थीं, कितने नरसंहार, हत्या की घटनाएं होती थीं, जिसके कारण डाक्टरों एवं व्यापारियों को भागना पड़ा था. जंगगलराज था पहले. हमने अपराध की घटनाओं को नियंत्रित करने का काम किया है. हमने जंगलराज से बाहर निकालकर कानून का राज कायम किया. पिछले 15 सालों में बिहार विकास की राह पर लेकर आए हैं. पीएम मोदी ने बिहार में आरजेडी के 15 साल के कार्यकाल की ओर इशारा करते हुए कहा था, 'बिहार के लोग उस युग को नहीं भूल सकते जब सूरज डूबने के बाद जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता था. 


बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!
बिहारः पहले दौर का चुनाव प्रचार, '7 निश्चय', 'जॉब', 'जेल' और अब '9 बच्चे'!

प्रवासी मजदूर, किसान, चीन घुसपैठ का मुद्दा

बिहार में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दो जनसभाओं को संबोधित किया. उन्होंने कोरोना के दौरान लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की समस्याओं से लेकर नोटबंदी के बहाने नरेंद्र मोदी सरकार पर हमले किए. उन्होंने कहा कि बिहार के मजदूरों को दिल्ली और अन्य राज्यों से भगाया गया. वे पैदल आए. जब आप भूखे-प्यासे चल रहे थे, तो क्या मोदी ने आपकी मदद की? क्या उन्होंने बिहार के मजदूरों की मदद की. इसी तरह से नोटबंदी करके गरीबों को लाइन में खड़ा कर दिया था और लॉकडाउन लगाकर पैदल चलने के लिए मजबूर कर दिया. 

लद्दाख में चीनी घुसपैठ का मुद्दा भी राहुल ने उठाया और कहा कि चीन ने हिंदुस्तान की '1200 वर्ग किलोमीटर' जमीन अपने कब्जे में ले रखी है, लेकिन पीएम मोदी झूठ बोल रहे हैं. राहुल ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों और मध्यम और छोटे व्यवसायों की रीढ़ तोड़ दी है. उन्होंने बिहार में मंडी प्रणाली और एमएसपी शासन को पहले ही समाप्त कर दिया है और अब वे देश भर में ऐसा कर रहे हैं. वह (मोदी) लाखों लोगों को बेरोजगार करने जा रहे हैं.

सीएए-एनआरसी का मुद्दा

बिहार चुनाव प्रचार में उतरे AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे को उठाया. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस के द्वारा सीमांचल में बसे लोगों को घुसपैठिया कहा जा रहा था तो उस वक्त आरजेडी और कांग्रेस ने अपना मुंह नहीं खोला. ओवैसी ने कहा कि सीएए ऐसा कानून है जो संविधान के खिलाफ हैं, जो हमारे संविधान की मूल भावना के खिलाफ हैं. असम का उदाहरण हमारे सामने है जहां सुप्रीम कॉर्ट के मॉनिटरिंग में एनआरसी हुआ. वहां पर 20 लाख लोगों के नाम नहीं आए जिसमें 5 लाख मुसलमान थे और 15 लाख गैर मुस्लिम. नीतीश कुमार ने बिहार की जनता से झूठ कहा कि जब सीएए-एनआरसी होगा तो वो 2010 के आधार पर नहीं होगा. वो भारत सरकार के आधार पर होगा. 

शराबबंदी का मुद्दा हावी रहा

बिहार में शराबबंदी को लेकर विपक्ष ने नीतीश सरकार पर हमला बोला और कहा कि बिहार में शराब बंद नहीं है बल्कि चोरी छिपे शराब बेची जा रही है. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराबबंदी के खिलाफ बिहार में माहौल बनाया जा रहा है. ऐसा करने वाले असल में खुद धंधेबाज हैं. धंधेबाज लोग ही इस कानून के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं. शराब माफिया चाहते हैं कि किसी तरह नीतीश कुमार को सत्ता से हटाया जाए. बिहार में महिलाएं शराबबंदी की मांग किया करती थीं, जिसे हमने सत्ता में आने पर लागू कर दिया. अब इससे बौखलाए शराब माफिया उन्हें सत्ता से हटाना चाहते हैं. 


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